Saturday, August 16, 2025

Thursday, April 3, 2025

'लक्ष्य प्राप्ति के सूत्र' 

श्री रामचरितमानस में वर्णित माता सीता की खोज यात्रा के विभिन्न प्रसंगों के विश्लेषण परआधारित 108 सूत्रों से युक्त मेरी एक और पुस्तक 'लक्ष्य प्राप्ति के सूत्र'  यह भी पोथी पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है


इस 
पुस्तक की समीक्षा जाने माने समीक्षक श्री शिव कुमार शर्मा जी द्वारा की गई है  उनके शब्दों में ..........

मानस के प्रसंगों पर आधारित जीवनोपयोगी प्रबंधन का खाका है पुस्तक  : 'लक्ष्य प्राप्ति के सूत्र'

            श्री रामचरितमानस में वर्णित माता सीता की खोज यात्रा के विभिन्न प्रसंगों के विश्लेषण परआधारित 108 सूत्रों से युक्त अवधेश कुमार नेमा द्वारा लिखित पुस्तक 'लक्ष्य प्राप्ति के सूत्र' हमें अपने जीवन प्रबंधन के व्यवहारिक पक्ष का ज्ञान कराती है। वर्ष 2025 के आरंभ में प्रकाशित इस पुस्तक में महत्त्वपूर्ण जीवनोपयोगी सूत्रों को सरल शैली में समझाया गया है यथा ज्ञान का उपयोग समाज कल्याण हेतु करें,सद्विचार लक्ष्य प्राप्ति में सहायक और अभिमान बाधक है,मित्र की भावनाओं के मूल भाव को समझना जीवन को सुगम करता है,अवसर को पहचान कर उसका लाभ उठाना ही बुद्धिमत्ता है,कार्य करने के लिए अच्छी योजनाएं बनाना, कार्यों की समय सीमा का निर्धारण आदि।कतिपय प्रसंग-सूत्र दृष्टव्य हैं।

एहि विधि सकल कथा समुझाई।लिए दुऔ जन पीठि चढ़ाई।।

             सुग्रीव जी के आदेश पर हनुमान जी बिप्र वेश धारण कर  श्री राम लक्ष्मण जी से मिले। संपूर्ण जानकारी लेने के पश्चात सुग्रीव जी से उनकी मित्रता करने हेतु पर्वत पर ले जाने के लिए अपनी पीठ पर चढ़ा लिया। उनके इस कार्य से सुग्रीव को भी नीचे उतरकर नहीं आना पड़ा और । श्री राम लक्ष्मण जी को भी सम्मानपूर्वक पर्वत पर अवतरित करा दिया। अंजनी लाल द्वारा इस प्रकार उभय पक्ष की मर्यादा रखकर सेवक धर्म का निर्वहन किया। शास्त्र की मर्यादा भी रक्षित हुई। किसी को पीठ पर  बिठाकर ले जाना दोनों पक्षों में परस्पर भरोसे एवं विश्वास की दृढ़ता का परिचायक है। हनुमान जी भगवान श्री राम को पीठ पर बिठाकर निश्चित हो गए। एक दूसरे पर भरोसा करने पर दोनों पक्षों की चिन्ता मिट जाती है। उन्होंने इसीलिए पीठ पर बिठाया की जिस भगवान स्वयं ही हनुमान जी को पकड़ लें अर्थात मनुष्य को भगवान को पकड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए केवल विश्वास रूपी हनुमान का सहारा लेना चाहिए भगवान के प्रति विश्वास आने पर भगवान स्वयं मनुष्य को पकड़ लेते हैं। 

            एक महत्वपूर्ण आशय यह भी स्पष्ट होता है कि हृदय धर्म का परिचायक है और पीठ धर्म की। हनुमान जी के हृदय में तो राम पहले से ही थे पर पीठ पर नहीं थे इसलिए राम को पीठ पर बिठाया जिससे आगे पीछे दोनों जगह राम स्थापित हो गए। यह हनुमान जी की समग्रता का परिचायक है । इस सूत्र को इस प्रकार भी देख सकते हैं जीवन में हमें जो ज्ञान मिला है वह हमारे हृदय या मन में तो है किंतु उसे समाज के हित में उपयोग नहीं किया,ऐसा ज्ञान अर्थहीन है अतः ज्ञान की उपयोगिता तभी है जब वह किसी लोक कल्याण के काम में आए समाज के लिए उपयोगी हो। ज्ञानार्जन की प्रक्रिया उभयमुखी है अर्थात अंतर्मुखी और बहिर्मुखी।अतएव अर्जित ज्ञान का लोक हित में उपयोग होने पर ही ज्ञान की पूर्णता है। उक्त प्रसंग सफलता के अनेक सूत्र समेटे हुए हैं यथा शास्त्र सम्मत सुसंगत नियमों का पालन करना ,वरिष्ठों की मर्यादा का ध्यान रखना उन पर भरोसा रखना और उन पर विश्वास कर निश्चिंत रहना, ज्ञान का उपयोग समाज कल्याण में करना निसंदेह सफलता दिलाता है।अहंकार लक्ष्य प्राप्ति में बाधक होता है वानरराज बालि का अभिमान उन्हें ले डूबा।(अस कहि चला महा अभिमानी।तृण समान सुग्रीवहिं जानी ।। मूढ तोहि अतिसयअभिमाना। नारि सिखावन करसि न काना।।)

            कार्य की सफलता के लिए सुविचारित योजनाएं बनाना आवश्यक है।सीता जी की खोज में सुग्रीव ने वनचरों के अलग-अलग दल बनाकर विभिन्न दिशाओं में भेजे थे तथा सभी को 15 दिवस का समय दिया था। (अब मारुत सुत दूत समूहा।पटवहु जंह तंह वानर जूहा।।कहहु पाख में आव न जोई।मोरे कर ताकर बध होई।।)

            श्री रामचरितमानस की प्रसंगों का आध्यात्मिक अर्थों के साथ-साथ जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के 108 सूत्रों को पिरोए हुए सर्वोपयोगी 144 पृष्ठों की पुस्तक को निसंदेह सूत्रमाला ही नहीं अपितु सूत्रशाला कहना समीचीन होगा।

इस क्यू आर कोड से पुस्तक प्राप्त की जा सकती है 


           

Friday, May 10, 2024

प्रबंधन के मंत्र

मेरी पुस्तक प्रबंधन के मंत्र का विमोचन 9 मई 24 को अशोक लेक व्यू होटल में पूर्व मुख्य सचिव मध्यप्रदेश श्री आर परशुराम जी के द्वारा किया गया । कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों के संचालक एवं पूर्व संचालक सम्मिलित हुए । सभी ने पुस्तक की विषयवस्तु की सराहना की । पूर्व मुख्य सचिव श्री आर परशुराम जी द्वारा पुस्तक को प्रबंधन के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट व्यवहारिक मैन्युअल की संज्ञा दी गई । उन्होंने अपने उदबोधन के दौरान पुस्तक के विभिन्न मंत्रों (अनुच्छेदों) को क्रमांक के साथ पढ़कर भी सुनाया ओर कहा कि पुस्तक को बहुत अधिक गहराई तक चिंतन कर लिखा गया है इसमें प्रबंधन के क्षेत्र की बारीकियों का वर्णन उदाहरणों के साथ किया गया है ।

कार्यक्रम की कुछ झलकियां एवं दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशन की कुछ कटिंग्स आप सभी के अवलोकनार्थ....
(यह पुस्तक अमेज़न, फ्लिपकार्ट के साथ साथ प्रकाशक अस्तित्व प्रकाशन के आन लाइन स्टोर पर भी उपलब्ध है...

















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Wednesday, April 24, 2024

अनमोल मिट्टी अनमोल पानी

            मेरी एक पूर्व पुस्तक अनमोल मिट्टी अनमोल पानी की समीक्षा जो विभिन्न दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ ,यह समीक्षा दैनिक देशबंधु भोपाल में 24 अप्रैल 2024 तथा स्वदेश के साप्ताहिक सप्तक में 21 अप्रैल 2024 को एवं कृषक जगत में 29 अप्रैल को प्रकाशित हुई है इस पुस्तक में समस्त कृषि तकनीकों को दोहे एवं चौपाइयों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है





इस क्यू आर कोड से पुस्तक प्राप्तो की जा सकती है 

Wednesday, October 18, 2023