1 . प्रबंधन के मंत्र
पुस्तक परिचय
कार्यपालिक अधिकारियों तथा निजी संस्थानों के प्रबंधकों
को अपने समस्त कार्य पूर्ण क्षमता एवं कुशलता के साथ संपादित करने हेतु प्रबंधन के
समस्त व्यवहारिक गुणों को एक माला में पिरोकर रखने का प्रयास किया गया है । यह
पुस्तक पूर्णतः लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों और तथ्यों पर आधारित है। पुस्तक में
वर्णित सभी मंत्रों अथवा उपायों को लेखक ने अपने कार्यकाल में व्यवहारिक एवं
प्रभावी पाया है ।
इस पुस्तक में एक कार्यपालिक अधिकारी द्वारा उसके स्वयं
के प्रबंधन के साथ साथ उसके कक्ष का प्रबंधन अधीनस्थ सहकर्मियों, वरिष्ठ अधिकारियों एवं हितग्राहियों तथा जन
प्रतिनिधियों के साथ किस प्रकार से प्रभावी समन्वय किया जा सकता है उन सब उपायों
का वर्णन किया गया है । इस पुस्तक में उन सभी वर्गों एवं सभी हितधारकों को
प्रबंधित करने की कला का वर्णन है जो एक प्रबंधक को अपने लक्ष्य प्राप्ति की राह
में मिलते हैं । लेखक ने अपने लगभग 40 वर्षों के प्रशासनिक
कार्यों के अनुभवों का निचोड़ इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है ।
मिट्टी
और पानी पृकृति की अनमोल धरोहर हैं । इस सृष्टि में जीवन के अस्तित्व के लिये
इन्हें संरक्षित रखना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है । वैसे तो भूमि एवं जल
संरक्षण हेतु विकसित उपायों को अनेक रूपों में कृषकों के समक्ष रखा गया है किंतु
यहां पर सभी उपायों को ग्रामीणों की चिरपरिचित शैली, दोहा एवं चौपाईयो में प्रस्तुत किया गया है । सभी को
कवच चालीसा, दोहावली और महिमावली के रूप में रखा गया है ।
जैसे जलग्रहण क्षेत्र चालीसा, भू रक्षा कवच, भू जल संग्रह दोहावली, जैविक खेती दोहावली, वृक्ष महिमावली आदि । सभी रोचक एवं ज्ञान वर्धक हैं ।
Pothi Publication
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